मैं तेरे शहर से गुजरा, तुझे पता ना चला
मैं तेरे शहर से गुजरा, तुझे पता ना चला
हवा बनके छुआ तुझको, तुझे पता न चला
तुम तो सोई हुई थी, बड़े इत्मिनान से
मैंने हौले से तुम्हे चुमा, तुझे पता न चला
जुल्फ उलझी हुई थी तेरी, किसी के इन्तेज़ार में
तेरी जुल्फों को संवारा, तुझे पता ना चला
बैठ के पास तेरे, घंटो गुफ्तगू की
रात आँखों में कटी कैसे, हमें पता न चला
अब तुझे छोड़, तेरे खवाबो में, मैं चला
मैं तुझे मिलने था आया, तुझे पता न चला
अविनाश सिंह राठौर
5.30 am, 22 सितम्बर 2012
पटना जंक्शन, अमृतसर एक्सप्रेस
हवा बनके छुआ तुझको, तुझे पता न चला
तुम तो सोई हुई थी, बड़े इत्मिनान से
मैंने हौले से तुम्हे चुमा, तुझे पता न चला
जुल्फ उलझी हुई थी तेरी, किसी के इन्तेज़ार में
तेरी जुल्फों को संवारा, तुझे पता ना चला
बैठ के पास तेरे, घंटो गुफ्तगू की
रात आँखों में कटी कैसे, हमें पता न चला
अब तुझे छोड़, तेरे खवाबो में, मैं चला
मैं तुझे मिलने था आया, तुझे पता न चला
अविनाश सिंह राठौर
5.30 am, 22 सितम्बर 2012
पटना जंक्शन, अमृतसर एक्सप्रेस