Avinash Kumar Singh
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मेरी कलम
जब मौत हमारी मंजिल थी
ये रिश्ते
हमने तुमको, अपना कहना छोड़ दिया
मैं अकेला रह गया
मैं तेरे शहर से गुजरा, तुझे पता ना चला
इक साल में ही कैसा, मंजर बदल गया
इक उम्र का हिस्सा हमने, तेरे साथ गुजारा है
अबकी जब तुम वापस आओ
इक बिंदिया, काजल, इक पायल
तू मेरी हो नही सकती, में तेरा हो नही सकता