इक साल में ही कैसा, मंजर बदल गया
इक साल में ही कैसा, मंजर बदल गया
जो था रकीब कल तक, संगदिल निकल गया
रक्खे ईमान को कोई, कब तक संभाल कर
जब सब बदल रहे थे, वो भी बदल गया
आया जो सर्द मौसम, सब फूल गिर गए
हस्ता हुआ चमन था, बिरान हो गया
हम भी किरायेदार थे, दिल के मकान के
लगता है अब वहां पे, कोई और आ गया
हम आज भी वहीँ है, तुम आज भी वहीँ
जज्बा जो हमको जोड़ता, जज्बा बदल गया
रंजीश न कोई तुमसे, शिकवा नही कोई
जिस वक़्त ने मिलाया, उसने जुदा किया
अविनाश सिंह राठौर
26 दिसम्बर 2012
जो था रकीब कल तक, संगदिल निकल गया
रक्खे ईमान को कोई, कब तक संभाल कर
जब सब बदल रहे थे, वो भी बदल गया
आया जो सर्द मौसम, सब फूल गिर गए
हस्ता हुआ चमन था, बिरान हो गया
हम भी किरायेदार थे, दिल के मकान के
लगता है अब वहां पे, कोई और आ गया
हम आज भी वहीँ है, तुम आज भी वहीँ
जज्बा जो हमको जोड़ता, जज्बा बदल गया
रंजीश न कोई तुमसे, शिकवा नही कोई
जिस वक़्त ने मिलाया, उसने जुदा किया
अविनाश सिंह राठौर
26 दिसम्बर 2012