इक उम्र का हिस्सा हमने, तेरे साथ गुजारा है
इक उम्र का हिस्सा हमने, तेरे साथ गुजारा है
तू पास नही तो क्या, तू अब भी हमारा है
तुम चाहे जहाँ जाओ, तुम्हे लौट के आना है
पर्वत भी हमारा है, सेहरा भी हमारा है
गर साथ चले होते, मंजिल भी मिली होती
इस राहे मोहब्बत का, दस्तूर निराला है
गैरों की बातों में, घर टूट गया अपना
कुछ दोष तुम्हारा था, कुछ दोष हमारा है
रहते थे कभी हम भी, तेरे दिल की धड़कन में
कल और ठिकाना था, अब और ठिकाना है
अविनाश सिंह राठौर
15-जनवरी -2013
तू पास नही तो क्या, तू अब भी हमारा है
तुम चाहे जहाँ जाओ, तुम्हे लौट के आना है
पर्वत भी हमारा है, सेहरा भी हमारा है
गर साथ चले होते, मंजिल भी मिली होती
इस राहे मोहब्बत का, दस्तूर निराला है
गैरों की बातों में, घर टूट गया अपना
कुछ दोष तुम्हारा था, कुछ दोष हमारा है
रहते थे कभी हम भी, तेरे दिल की धड़कन में
कल और ठिकाना था, अब और ठिकाना है
अविनाश सिंह राठौर
15-जनवरी -2013